प्रकृति के झरने
प्रकृति के झरने
झरनों की अपनी खुशबू नहीं होती
पर जिधर से गुजरते हैं खुशबुएं बिखेर देते हैं।
साफ बहता जीवनदायी ये पानी मानो अमृत समान है
इसको पी कर जीव जंतु पुष्प पौधे निखर रहे हैं
हर तरफ खुशबुओं के मंजर बिखर रहे हैं।
एक जीवन का संगीत भरा है इसके तन मन में
कल कल बहता पानी भर देता जीवन कण कण में
अपने किनारों पे बिछा कर मखमली हरी भरी दूब
चमक रहा हीरे सा जब भी पड़ती इसपर धूप।
और किसी शोड़सी सा इठलाता बलखाता
मदमस्त चाल में आगे बढ़ रहा
कूदता फांदता अपनी नियति घड़ रहा
कल मिल जाएगा जाकर किसी नदिया में।
फिर हो जाएगा शांत किसी मां के जैसा
जो जीवन सृजन कर अपने लाडलों को निहारती
और भावनाओं के वेग को भी संभालती
उसकी ममता उसे एक नए रूप में ढालती।
भावनाओं के सागर में खुद ही खुद को मिटाती
फिर एक बार बादल बन बरस जाती
एक नए झरने का रूप लेकर
फिर से जीवन सृजन की नई सुबह खिलाती।।
आभार - नवीन पहल - २२.०२.२०२२ 🙏🙏👍
# वार्षिक प्रतियोगिता हेतु
देविका रॉय
05-Mar-2022 11:53 PM
शानदार रचना
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Inayat
05-Mar-2022 01:04 AM
खूबसूरत
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Seema Priyadarshini sahay
24-Feb-2022 01:01 AM
बहुत शानदार
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